सुख की नाव पर
जीवन का सफ़र
था मजे में चल रहा
तूफां आया
लहरों से डरे
और लहरों में ही कूद पड़े
साहस ने लहरों से
लड़ना सिखाया
अब लहरों से डर
लगता नहीं
किसी मुकाम पर
मन ठहरता नहीं.
जिसे छोड़ना था, छूटती नहीं
जिसे थामना था, थामे न रह पाए
जीवन के खेल में
हम सब खिलाडी
कभी हारते तो भूल हमारी
जीत हुई तो
बढ़िया खिलाडी
No comments:
Post a Comment