Tuesday, November 16, 2010

खिलाडी

सुख की नाव पर
 जीवन का सफ़र
था मजे में चल रहा
तूफां आया 
लहरों से डरे 
और लहरों में ही कूद पड़े 

साहस ने लहरों से
लड़ना सिखाया 
अब लहरों से डर
लगता  नहीं
किसी मुकाम पर
मन ठहरता नहीं.

जिसे छोड़ना  था, छूटती नहीं 
जिसे थामना था, थामे न रह पाए
जीवन के खेल में 
हम सब खिलाडी 
कभी हारते तो भूल हमारी 
जीत हुई तो 
बढ़िया खिलाडी  

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