कल - कल
छल - छल
गति है
लय है
बिटिया मेरी
बहती धारा
माता - पिता
थमे - फैले
दो पाटों में
बने किनारा
निर्भय - निडर
बढती जाना
संघर्ष तुम्हारा
साथ हमारा
प्रगति तेरी
विस्तार हमारा
अपने माता पिता के
हम भी थे धारे
आज थमे बने किनारे
नित रूप बदलती जिंदगानी
बस पानी की तरह
तेरी - मेरी कहानी
Wow, great work!!
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