Thursday, March 7, 2019

वो आएगी जब

वो आएगी जब 
संचारित होगा प्राण
खिलेगी मधुर मुस्कान।

वो आएगी जब
स्वाद जीभ पर थिरकेगा
गर्म जोशी के साथ चूल्हा जलेगा।

वो आएगी जब
घर से बाहर कदम
हंसते-हंसाते रखेंगे हम।

वो आएगी जब
रात की नींद में डालेगी खलल
सुबह को मैं भी करूंगी उसे नींद से अलग।

वो आएगी जब
पिता-बेटी के होंगे संवाद
कभी-कभी बनेंगे वही विवाद।

वो आएगी जब
जादुई तमाशा सी
सबकुछ हल्की-हल्की सी।

वो जाएगी जब
एक गहरा सन्नाटा
बस एक गहरा सन्नाटा।

बन्दना

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