वो आएगी जब
संचारित होगा प्राण
खिलेगी मधुर मुस्कान।
वो आएगी जब
स्वाद जीभ पर थिरकेगा
गर्म जोशी के साथ चूल्हा जलेगा।
वो आएगी जब
घर से बाहर कदम
हंसते-हंसाते रखेंगे हम।
वो आएगी जब
रात की नींद में डालेगी खलल
सुबह को मैं भी करूंगी उसे नींद से अलग।
वो आएगी जब
पिता-बेटी के होंगे संवाद
कभी-कभी बनेंगे वही विवाद।
वो आएगी जब
जादुई तमाशा सी
सबकुछ हल्की-हल्की सी।
वो जाएगी जब
एक गहरा सन्नाटा
बस एक गहरा सन्नाटा।
बन्दना