एक अनजान सी जगह, गोहाना
संजीवनी में था चार दिन गुजारना।
संजीवनी में था चार दिन गुजारना।
रंग-बिरंगे पुष्प, हरियाली थी बिखरी,
पक्षियों की मस्ती, बताती थी वह प्रेम की है बस्ती।
पक्षियों की मस्ती, बताती थी वह प्रेम की है बस्ती।
कहते हैं-- जहाँ कौवे बोलते, वहां मेहमां आते हैं।
जीवन में देखा पहली बार,
सहस्त्र कौवों का कलरव, गान
हर्ष से अभिभूत हो गयी मैं अपार,
विस्मय-विमुग्ध हो गयी,
मुस्करा पड़ी सत्संग हाल में
जीवन में देखा पहली बार,
सहस्त्र कौवों का कलरव, गान
हर्ष से अभिभूत हो गयी मैं अपार,
विस्मय-विमुग्ध हो गयी,
मुस्करा पड़ी सत्संग हाल में
जब देखा लोगों का सैलाब।
इसी बीच आ गयी अपनी होली,
अनजाने मित्रों के संग का था अपना रंग,
नयनों को बना पिचकारी,
प्रेम का रंग दे मारी,
आत्मीयता के सूखे गुलाल,
मिटा डाले मन के सारे मलाल,
ललिता जी ने ख्वाबों का खूब खिलाया
टेढ़ी-मेढ़ी, मीठी जलेबियाँ,
रुपिंदर जी ने मधुर स्वभाव से
सबों का जी मीठा कर डाला।
योग, आसन और ध्यान
आहार पर था कड़ा नियंत्रण,
माता जी के सुरीले भजन-गान,
गुरू जी के अमृत वचन एवं हास-परिहास,
जीवन लगता एक हँसता-गाता खिला गुलाब।
आहार पर था कड़ा नियंत्रण,
माता जी के सुरीले भजन-गान,
गुरू जी के अमृत वचन एवं हास-परिहास,
जीवन लगता एक हँसता-गाता खिला गुलाब।
Meri hindi mein likhi sari rachnaon ka saar aap ho, Bandna maam.
ReplyDeleteAapko koti koti naman.
वाह!अपने सौभाग्य पर रश्क होता है! गर्व की पुलकन भी कि आप मेरी दीदी है । उम्दा और बेहतरीन रचना। दूर क्षितिज में आपकी उत्कृष्ट सफलता का दिव्य दर्शन दृष्टिगोचर हो रहा है । 2022 जीवन का अद्भुत वर्ष हो ।
ReplyDeleteअनंत अशेष शुभकामनाएं ।