My feelings
Tuesday, October 8, 2013
आवारगी बनाम अनुशासन
अश्कों में आवारगी मेरी,
गीले गाल, भीगे रुमाल,
भावों को बेपर्दा किया इसने।
नम थी उनकी भी आँखें,
अनुशासन का था कड़ा पहरा,
मजाल है जो गिर जाये दो बूँद।
1 comment:
Anonymous
October 8, 2013 at 8:57 PM
अजीब विरोधाभाष - सटीक
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अजीब विरोधाभाष - सटीक
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