Friday, September 11, 2009

मेरी नानी


श्वेत रजत सी केश राशि,
सादगी ओढे, सौम्य व्यक्तित्व,
स्वीकार किया,
"नानी ना रही"

काल ने उन्हें हमसे लूटा,
रिश्ते का एक लम्बा धागा टूटा,
अब भी यादों में पलती हैं,
रक्त का अटूट सम्बन्ध,
यादों में नानी डोलती है


नम आखों से खिलखिलाती  हँसी,
बच्चों के साथ घुल - मिल जाना,
आसान नहीं,
यह स्वभाव सरलता की निशानी है,
मेरी नानी सादगी की कहानी हैं

छोटे - छोटे कामों को,
गुनगुनाते, तन्मयता से करते देखा,
साधारण काम को विशेषता दे डालतीं,
समय की पाबन्द,
हर काम समय से करती और कराती,
गणित में चतुर
मिनटों में हिसाब निपटाती थी
नाम "उत्तमा" था
काम उत्तम कर दिखलाती थीं

छोटे से गाँव में, बड़े से शहरों में,
सफ़र चलता रहा,
नानी का कदम एक ताल में,
बढ़ता रहा

दुःख में, सुख में धैर्य धारण,
विषम स्थिति सह लेतीं,
हर रिश्तों के निर्वाह के तरीके,
थे उनके निराले
अपने से संतुष्ट, अपनों से संतुष्ट,
संतुष्ट का सबक सिखलाती थी,
द्वेष, कलह से दूर,
शांति से एकांत, मौन जीवन बिताती थीं

मेरे नरम हाथों को हाथ में दबा कर,
कुछ ऐसा कह जाती थीं,
आँखों में ख्वाब, ह्रदय में विश्वास,
भरपूर जग जाती थी 

संसार में कुछ भी पाने पर,
कृतज्ञता से मन भर जाता है
अपने से बड़ों  का आशीर्वाद,
सचमुच फलित हो जाता है

अब उनके साथ बैठ,
गुफ्तगु तो न हो पायेगी 
पर जब चाहे
 आत्मा आत्मा से रूबरू हो जाएगी.                                                                            

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