My feelings
Monday, July 16, 2012
विडम्बना
माँ जो कल थी, वह आज नहीं
लाडला जो आज है, वह कल ऐसा न था
फर्क कल और आज का है
जीते हैं आज में, ढूंढते हैं
बीता, न लौटकर आने वाला कल
उस घर में
उस घर में सूरज की रौशनी नहीं,
हर समय व्याप्त है अँधेरा।
कहने को चार कुल दीपक हैं
जो बाहर जा कर जलते हैं
घर आते ही बुझ जाते हैं।
उस घर में है एक पॉवरहॉउस,
जिसने अपने सारे स्रोत बंद कर रखे।
भेजती थी जिन्हें उर्जा
अब मांगती हैं उन्हीं से
वितरित उर्जा का संगठित रूप।
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